पता ना चले किसको कब बेच देंगे
सलामी दो इनको ये सब बेच देंगे
समंदर को जाकर लहर बेच देंगे
अंधेरों को सब की सहर बेच देंगे
दिखाकर के बोतल पे अय्याश नागिन
सपोलों को मंहगा ज़हर बेच देंगे
है अलफ़ाज़ क्या चीज़ लब बेच देंगे
सलामी दो इनको ये सब बेच देंगे
ये साँसों को मँहगा धुँआ बेच देंगे
उसी के मरज़ की दवा बेच देंगे
ये बेचेंगे तब खौफ के आईने फिर
असर गुनगुना कर दुआ बेच देंगे
तुम्हे फिर नई एक तलब बेच देंगे
सलामी दो इनको ये सब बेच देंगे
ये नानी को एसी कहानी सिखा दें
जो बचपन को सीधा जवानी सिखा दे
जवानी को सीधे कमाना सिखा दें
कमाई दुकां में गवानी सिखा दें
ये जब बेचना चाहें तब बेच देंगे
सलामी दो इनको ये सब बेच देंगे
बताएँगे तुमको ज़रुरत तुम्हारी
करेंगे ये तय क्या है कीमत तुम्हारी
ये दिल के ही आजू या बाजू रहेंगे
जी क्यूंकि वहीं पे हैं जेबें हमारी
ये जीने का हमको सबब बेच देंगे
सलामी दो इनको ये सब बेच देंगे
ये जम्हूरियत की सड़ी लाश लेकर
उसे भर के भूसा नई शक्ल देकर
नचाएंगे सोने के धागों से उसको
ये मुर्दों पे भी है चढ़ाते कलेवर
अजब को बनाकर गजब देंगे
सलामी दो इनको ये सब बेच देंगे
ये बोलेंगे झूठी है मेरी ज़बानी
जिन्होंने कि प्यासों को बेचा है पानी
फकत फायदे के मियाँ कायदे है
इन्हें सिर्फ आती है रोटी पकानी
ख़ुदा मौल लेंगे मज़हब बेच देंगे
सलामी दो इनको ये सब बेच देंगे